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Gulzar Shayari in Hind
बस यही “दौड़” है इस दौर के इंसानो की
तेरी दीवार से ऊँची मेरी दीवार बने
कुछ तो बात है मोहब्बत में
वरना एक लाश के लिए
कोई ताज महल नहीं बनता
जिस्म से होने वाली मोहब्बत का
इज़हार आसान होता है…
रूह से हुई मोहब्बत समझने में
ज़िन्दगी गुज़र जाती है
ज़रा सी बात पर शौक करना
मेरी आदत नहीं
गहरी जड़ का बरगद हूँ
दीवार पर ऊगा पीपल नहीं
एक शख्स जो इतना सताता है
सुकून भी न जाने क्यों
उसी के पास आता है
एक दिन तुम मुझे
इसलिए भी खो दोगे कि
हमारी रोज़ बात नहीं होती
Short Gulzar Shayari Hindi Mein
मै तुझे बार बार
इसलिए समझता हूँ
तुझे टुटा हुआ देखकर
मै खुद भी टूट जाता हूँ
बस यही “दौड़” है
इस दौर के इंसानो की
तेरी दीवार से ऊँची मेरी दीवार बने
मोहब्बत की है तुम से,
बेफिक्र रहो,
नाराज़गी हो सकती है,
पर नफ़रत कभी नहीं होंगी
चाहने वालो को नहीं मिलते
चाहने वाले
हमने हर दगाबाज़ के साथ
सनम देखा है
हम अफ़सोस क्यों करे की
कोई हमे ना मिला
अफ़सोस तो वो करे
जिन्हे हम ना मिले
ख्वाहिश तो न थी किसी से
दिल लगाने की
पर किस्मत में दर्द लिखा हो
तो मोहब्बत कैसे न होती।
ना मांग कुछ ज़माने से
ये देकर फिर सुनाते है
किया एहसान जो एक बार
वो लाख बार जताते है
मेरे तो दर्द भी औरों के काम आते है
मै रो पढू तो कई लोग मुसकुराते है
एक वक़्त के बाद
हर कोई गैर हो जाता है,
उम्र भर किसी को अपना
समझना एक वहम है
4 Lines Gulzar ki Shayari
कितने अजीब होते है
ये मोहब्बत के रिवाज़ भी
लोग आप से तुम ,
तुम से जान और जान से
अनजान बन जा
जिस दिन उस पर
दिल आया था
उस दिन मौत आ जाती
तो ज़्यादा अच्छा था
“भरोसा नहीं है क्या मुझपे”
ये लाइन बोलकर पता नहीं
कितने लोग धोखा दे देते है
चाहते है वो हर रोज़ एक नया चाहने वाला
ए खुदा मुझे हर रोज़ एक नई सूरत दे दे
छू न पाया मेरे अंदर की उदासी को कोई
मेरे चेहरे ने इतनी अच्छी अदाकारी की है
काश कोई हमें भी ऐसा चाहे
जैसे कोई तकलीफ में
सुकून चाहता है
बड़ी मुददत से मिलता है
बड़ी शिददत से चाहने वाला
हम चाय पीकर
कुल्हड़ नहीं तोड़ पाते
दिल तो खैर
बहुत दूर की बात है
Gulzar Shayari in Hind
छोड़ दो ये बहाने
जो तुम करते हो,
हमें भी अच्छे से मालूम है
मज़बूरियाँ तभी आती हैं
ज़ब दिल भर गया हो
बटुए को क्या मालूम पैसे उधार के है
वो तो बस फूला ही रहता है अपने गुमान में
इस दौर के लोगो में वफ़ा ढूंढ रहे हो
बड़े नादान हो साहब
ज़हर की शीशी में दवा ढूंढ रहे हो
जो हमारे जज्बातो
की कद्र नही कर सकते,
उनके पीछे पागल होना
प्यार नहीं बेवकूफ़ी है
खुशियाँ चाहे
किसी के साथ भी बाँट ले पर
अपने गम किसी
भरोसेमंद के साथ ही बांटने चाहिए
कभी इसका दिल रखा
कभी उसका दिल रखा
इस कशमकश में भूल गए
खुद का दिल कहां रखा
ये तो दस्तूर है
जो जितने पास है
वो उतना ही दूर है
माफ़ी चाहता हूँ
तेरा गुनहगार हू ऐ दिल,
तुझे उसके हवाले किया
जिसे तेरी क़दर नही थी
जाने वाले को जाने दीजिये
आज रुक भी गया तो
कल चला जायेगा
Gulzar Saab Ki Hindi Shayari
मुझे रिश्तो की लंबी कतारों से
मतलब नहीं
कोई दिल से हो मेरा तो
एक शख्स भी काफी है
वैसे दुनिया में आते है
सभी मरने के लिए
पर असल मौत उसकी है
जिसका अफ़सोस ज़माना करे
तुम्हें मोहब्बत कहां थी
तुम्हें तो सिर्फ़ आदत थी
मोहब्बत होती तो हमारा
पल भर का बिछड़ना भी
तुम्हे सुकून से जीने नहीं देता।
हालात दिखा देते है
बातें सुनना और सहना
वरना हर शख्स अपने
आप में बादशाह होता है
मै ही मनाऊ हमेशा तुझे
कभी तू भी तो मना मुझे
महसूस तो करू कैसा लगता है
जब यार अपना मनाता है
मुझे तो तोफे में
अपनों का वक़्त पसंद है
मगर आज कल इतने महंगे
तोफे देता कौन है
अगर किसी से बिछड़ने का डर
तुम्हें हर रोज़ रहने लगे तो
यकीन मानो कि उस इंसान को
तुम एक दिन खो ही दोगे
यहाँ हर किसी को दरारों में
झाँकने की आदत है
दरवाज़े खोल दो
कोई पूछने तक नहीं आएगा
जो साथ रहकर भी साथ न हो
वो दूर ही रहे तो अच्छा है
Gulzar Shayari in Hind
पलट कर जवाब देना
बेशक गलत बात है
लेकिन सुनते रहो तो लोग
बोलने की हदें भूल जाते है
पूछा जो हमने किसी और
के होने लगे हो क्या,
वो मुस्कुरा कर बोले
पहले तुम्हारे थे क्या
तिनका सा मै और
समुंदर सा इश्क़
डूबने का डर और
डूबना ही इश्क़
सोचता था दर्द की दौलत से
एक मै ही मालामाल हूँ
देखा जो गौर से तो
हर कोई रईस निकला
अब मुझे रास आ गया है
अकेलापन
अब आप अपने वक़्त का
अचार डाल दीजिये
ख़ुदा तूने तो लाखो की
तकदीर संवारी है,
मुझे दिलासा तो दे की
अब तेरी बारी हैं
फुरसत में याद करना हो तो
मत करना
हम अकेले जरूर है
मगर फ़िज़ूल नहीं
Heart-touching Sad Gulzar Shayari
जब अपने ही परिंदे
किसी और के दाने के
आदि हो जाये तो
इन्हे आज़ाद कर देना चाहिए
बुरा वक़्त तो गुज़र ही जायेगा
बस वही लोग नहीं गुज़रते
जिनकी वजह से वो बुरा वक़्त आया है
याद रखना दर्द भी वही देते है
जिन्हें हक दिया जाता है,
वरना गैर तो धक्का लगने पर भी
माफी माँग लिया करते है
हम अपनी इस अदा पर गुरुर करते है
किसी से प्यार हो या नफरत भरपूर करते है
अंजान परिंदे उड़ गए उनका क्या दुःख
यहाँ तो पाले हुए दूसरों की छत पर उतर रहे है
रुतबा कम है मगर लाज़वाब है मेरा
जो हर किसी के दर पर दस्तक दे
वो किरदार नहीं मेरा
एक दिन शिकायत तुम्हें
वक्त से नहीं खुद से होगी,
कि जिंदगी सामने थी
और तुम दुनिया में उलझे रहे
चुभता हूँ सबको
कोई छूरा तो नहीं हूँ
तुम बताते हो जितना
उतना बुरा तो नहीं हूँ
किसी को आसानी से मत मिल जाना
लोग रास्ता समझने लगते है
दिल के मरीज़ हॉस्पिटल
से जयादा ऑनलाइन मिलते है
इतने जल्द ना सारे राज
बताया करो,
बात अगर लंबी करनी हो
तो कुछ राज छुपाया करो
Gulzar Shayari in Hind
“भरोसा नहीं है क्या मुझपे”
ये लाइन बोलकर पता नहीं
कितने लोग धोखा दे देते है
चाहते है वो हर रोज़ एक नया चाहने वाला
ए खुदा मुझे हर रोज़ एक नई सूरत दे दे
छू न पाया मेरे अंदर की उदासी को कोई
मेरे चेहरे ने इतनी अच्छी अदाकारी की
दुसरो को इतनी जल्दी
माफ़ कर दिया करो
जितनी जल्दी आप
उपरवाले से अपने लिए
माफ़ी की उम्मीद रखते हो
मुझसे धोखा दिया नहीं जाता
मै साथ दुनिया के चलू कैसे
मै सबका दिल रखता हूँ और
सुनो मै भी एक दिल रखता हूँ
दूरियां जब बढ़ी तो
गलतफहमियां भी बढ़ गई,
फिर उसने वो भी सुना
जो मैंने कहा ही नहीं
मशवरा तो खूब देते हो की खुश रहा करो
कभी खुश रहने की वजह भी दे दिया करो
मुझे किसी के बदल जाने का कोई गम नहीं
बस कोई था जिससे ये उम्मीद नहीं थी
लोग कहते है भूल जाओ उसे
कितना आसान है न मशवरा देना
जहाँ जाना है जाओ,
तुमसे अब कोई रिश्ता थोड़ी है,
जिसके लिए मुझे छोड़ के गए हो
वो भी कोई फरिश्ता थोड़ी है
Painful Gulzar Shayari in Hindi
हमसे रिश्ता बनाये रखना
हम वहाँ काम आते है
जहाँ सब साथ छोड़ जाते है
मै वो क्यों बनू जो तुम्हे चाहिए
तुम्हे वो कबूल क्यों नहीं जो मै हूँ
मुम्किन है मेरे किरदार में बहुत सी खामिया होंगी
पर शुकर है किसी के जज़्बात से खेलने का हुनर नहीं आया
चलो ये अच्छा हुआ
नींद ले गया वरना
तेरा ख़्याल..
मेरी जान भी ले सकता था
कहा था ना की एक दिन मुझे फरक पड़ना ही बंद हो जायेगा
वो दिन आ गया है आज़ाद हो तुम, अपना ख्याल रखना
गैर क्यों ले जा रहे है अपने कंधे पर
अरे हां मेरे अपने तो कब्र खोद रहे है
मोहब्बत क्या है उस
शख़्श से पूछो,
जिसने दिल टूटने के बाद भी
इंतेज़ार किया हो
लिहाज़ नहीं रखते हम संस्कारो का
लहजा बदल जाये अगर बात करने वालो का
उसको दुःख ही नहीं जुदाई का
बस ये दुःख ही खा गया मुझको
लोगो को हद से जयादा
इज़्ज़त और भरोसा दोगे
वो उठाकर आपके मुँह पर
बेइज़्ज़ती और धोखा ही मरेगा
4 Lines Gulzar ki Shayari
फितरत में ही नहीं है
हर किसी का हो जाना,
वरना न प्यार कि कमी थी
न प्यार करने वालों की
उसने ये सोचकर मुझे अलविदा कह दिया
की गरीब है मोहब्बत के सिवा क्या देगा
दर्द को छोड़ कर हार में तू राज़ी है
भूल रहा तेरे हाथो में अभी बाज़ी है
सुनाऊ क्या?
किस्सा थोड़ा अजीब है,
जिसने खंज़र मारा है
वही दिल के करीब है
बातें तो सिर्फ जज़्बातों
की है वरना मोहब्बत तो
सात फेरो के बाद भी नहीं होती
बिछड़ते वक़्त मेरे सारे ऐब गिनाये उसने
सोचता हूँ जब मिला था
तब कोन सा हुनर था मुझमे
जो सबके ही करीब हो,
उसको पाकर कोई कैसे
खुशनसीब हो
धागे बड़े कमज़ोर चुन लेते है हम,
और फिर पूरी उम्र
गांठ बांधने में निकल जाती है
हर तरीका आज़मा चुका हूँ
तुम्हें मनाने का,
कहाँ से सीख के आये हो
ये अंदाज रूठ जाने का
कभी कभी उनसे भी दूर होना पड़ता है
जिनके साथ हम ज़िंदगी गुज़ारना चाहते थे
कौन देता है उम्र भर का साथ
लोग जनाज़े में भी कंधा बदलते है
Short Gulzar Shayari Hindi Mein
हमें भी सीखा दो
यूँ भूल जाने का हुनर
अब हमसे रातों को
उठ उठ कर रोया नहीं जाता
इंसान यूं ही नहीं मतलबी कहा जाता है
उसे अपने सुख से ज़यादा,
दूसरे के दुःख में मज़ा आता है
तुम बदले तो हम भी कहाँ पुराने से रहे
तुम आने से रहे तो हम भी बुलाने से रहे
गलती बस एक ही हुई
मुझसे ज़िंदगी में..
जिसने मुड़कर भी ना देखा,
मैंने उसका इंतज़ार किया
यही तो ज़माने का उसूल है
जरुरत हो तो खुदा
वरना बंदा फ़िज़ूल है
इस दौर के लोगो में वफ़ा ढूंढ रहे हो
बड़े नादान हो साहब
ज़हर की शीशी में दवा ढूंढ रहे हो
हमने कहा उनसे
हम बहुत रोते हैं तुम्हारे लिए,
वो बोले रोते तो सब हैं
तो हम क्या सबके हो जाए
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